विकलांग स्पेशल ट्रेन विवाद

           कोलकाता से दिल्ली के लिए चली विकलांग स्पेशल विवादों का गुबार खड़ा कर रही है। इस ट्रेन से एक हजार से भी अधिक विकलांगों को प्रधानमंत्री से मुलाकात कराने के लिए ले जाया गया था, लेकिन ट्रेन के ११ घंटे से भी अधिक लेट होने के चलते प्रधानमंत्री से वे लोग नहीं मिल पाए। सिर्फ पहले से दिल्ली पहुँचे बंगाल के समाज कल्याण विभाग मंत्री क्षितिज गांगुली और इंग्लिश चैनल पार करने वाले विकलांग तैराक मसुदुर रहमान ने मुलाकात की औपचारिकता पूरी की। मंत्री ने रेल मंत्री और प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर शिकायत की है कि जब इस ट्रेन के लिए रेलवे ने पूरा १७ लाख रुपया किराया वसूला तो सुविधाएँ क्यों नहीं दीं? समय पर ट्रेन क्यों नहीं पहुँची?



इस ट्रेन के किराए के मद में विकलांग कोटे से ७५ फीसद छूट की अपील रेलवे ने ठुकरा दी थी। सवालों पर दो हफ्ते गुजरने के बावजूद रेलवे खामोश है, लेकिन किराए के मामले में रेलमंत्री ममता बनर्जी का पत्र राज्य सरकार के पास जरूर पहुँचा है। बंगाल की संकीर्ण होती राजनीति का उदाहरण बनी इस घटना पर स्थानीय अखबारों ने ममता बनर्जी की जमकर आलोचना की है। "आनंद बाजार पत्रिका", "आजकाल" और "गणशक्ति" ने लगातार खबरें छापकर रेलवे के अमानवीय रवैए को कोसा है। दूसरी ओर,"प्रतिदिन" अखबार खुलकर रेलमंत्री के तर्क को हाईलाइट कर रहा है। "बर्तमान" अखबार लिखता है कि राज्य के मंत्रालय ने पूरे तथ्य नहीं बताए थे। दूसरे, अफसरों की आड़ लेकर माकपा राजनीतिक निशाने साध रही है।

No comments:

Post a Comment