आखिरकार अरुणिमा को एम्स के ट्रॉमा सेंटर से लंबे इलाज के बाद छुट्टी मिल ही गई। करीब साढ़े तीन महीने बाद अरुणिमा ने अपने पैरों पर खड़े होकर फिर नई जिंदगी की ओर कदम बढ़ाए तो यह विश्वास और गहरा हुआ कि नाउम्मीदी के लिए इस दुनिया में कोई जगह नहीं। यदि दृढ़ निश्चय हो तो कुछ भी असंभव नहीं। इस नई उम्मीद के साथ देश के लोग शायद ही उस अरुणिमा को भूले होंगे जो एक समय असहाय होने के कारण पूरे देश में चर्चा का विषय बनी थी। नेशनल लेवल की यूपी की वॉलीबॉल खिलाड़ी अरुणिमा सिन्हा जिसे 11 अप्रैल को चेन लूटने का विरोध करने पर बदमाशों ने चलती ट्रेन से धक्का दे दिया था। 23 साल की अरुणिमा को बुरी हालत में पहले बरेली इलाज के लिए ले जाया गया था। वहां अरुणिमा का बायां पैर डॉक्टरों को काटना पड़ा था, क्योंकि उनके पास इसके सिवाय दूसरा कोई विकल्प नहीं था। दरअसल इसका कारण यह था कि इन्फेक्शन उसकी दूसरी टांग में भी फैल रहा था। मीडिया में उसकी स्टोरी आने के बाद खेल मंत्री अजय माकन ने सुध ली और अरुणिमा को दिल्ली एम्स लाकर भर्ती कराया गया। अरुणिमा के लिए इनोवेशन नाम की कंपनी ने करीब साढ़े तीन लाख रुपये में अमेरिका से कृत्रिम पैर मंगाया ताकि वह फिर से खड़ी हो सके और समाज के लिए एक उदाहरण बन सके। डॉक्टरों का कहना है कि इस कृत्रिम पैर के सहारे अरुणिमा बिना सहारे एक बार फिर चल-फिर सकेगी और अपने सपनों को पूरा करने के लिए प्रयास कर सकेगी। वॉलीबॉल में भारत का नाम रौशन करने का अरुणिमा का सपना बेशक टूट गया हो, लेकिन अरुणिमा का आत्मविश्वास अभी भी बरकरार है। अरुणिमा अब पैरालंपिक्स खेलों (विकलांगों का ओलंपिक्स) में भारत की नुमाइंदगी के लिए मेहनत करना चाहती है। अरुणिमा के मुश्किल के दिनों में खेल मंत्रालय, रेलवे, यूपी सरकार के अलावा क्रिकेटर हरभजन सिंह और युवराज सिंह जैसे खिलाडि़यों ने भी मदद के लिए हाथ आगे बढ़ाया था ताकि उसे एक नई जिंदगी मिल सके। ब्यूटीशियन शहनाज हुसैन ने ट्रॉमा सेंटर अपनी ट्रेनर भेज कर अरुणिमा को ब्यूटीशियन कैरियर के गुर सिखाए ताकि जरूरत पड़ने पर अरुणिमा इस हुनर का प्रयोग अपनी आय बढ़ाने के लिए और अपना आत्मविश्वास वापस पाने के लिए इस्तेमाल कर सके। नि:संदेह आज पूरा देश शायद यही कहना चाह रहा होगा कि अरुणिमा तुम्हारे हौसले को सलाम।
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