जल्द ही खत्म हो सकता है भारत से पोलियो
पोलियो प्राचीनकाल से बगैर भेदभाव के मानव जाति को प्रभावित कर रहा है और अस्थिबाधित विकलांगता के कारणों में अग्रिम पंक्ति में है। रोम के बादशाह, अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति फ्रेंकलिन डिलेन रूजवेल्ट भी इसकी चपेट में आए थे। पोलियो का वर्णन १७८९ में इंग्लैंड के चिकित्सक माइकेल अंडरवुड, १८४० जैकब हेन तथा १८९० में कार्ल ऑस्कर मेडिन ने किया था और समय-समय पर यह रोग हेन मेडिन रोग, शिशु पक्षाघात रोग जैसे नामों से पहचाना जाता था।
१९वीं शताब्दी के अंत तक ६ माह से ४ वर्ष की आयु के बच्चे अधिकाधिक मात्रा से प्रभावित होते थे। बाल्यावस्था के उत्तरार्ध तथा वयस्क काल में इस रोग की गंभीरता बढ़ी और पक्षाघात तथा मृत्यु का प्रतिशत क्रमशः ३७ तथा ५ तक पहुँच गया जिसने चिकित्सा जगत सहित पूरे समाज को चिंतित कर दिया।
पोलियो ऐसा रोग है जिसका कोई उपचार नहीं है, टीकाकरण से ही इसकी रोकथाम संभव है। पोलियो निरोधक टीकों के उपयोग से १९९४ तथा २००० तक क्रमशः अमेरिका तथा योरपीय देशों से पोलियो पूर्णतया समाप्त हो गया। पोलियो उन्मूलन की पहल का श्रीगणेश १९८८ में विश्व स्वास्थ्य असेंबली में पारित प्रस्ताव से हुआ था जिसका उद्देश्य २००८ तक पूरे विश्व से पोलियो को नियंत्रित, विलुप्त तथा नष्ट करना था। स्मरण रहे पूर्व में प्रतिवर्ष ३,५०,००० बच्चों को पोलियो के कारण पक्षाघात होता था। संयुक्त राष्ट्रसंघ ने यूनिसेफ तथा विश्व स्वास्थ्य संगठन के साथ मिलकर विश्व से पोलियो उन्मूलन हेतु योजना बनाई। इसके सफल क्रियान्वयन तथा अन्य प्रयासों के परिणामस्वरूप विश्व में पोलियो पीड़ित देशों की संख्या १२५ से घटकर ४ रह गई। वर्तमान में भारत, पाकिस्तान, अफगानिस्तान तथा नाइजीरिया ही वे चार देश हैं जिनमें पोलियो उन्मूलन का काम शेष है।
पोलियो उन्मूलन हेतु इंजेक्शन के रूप में दिया जाने वाला आईपीवी टीका उपलब्ध है और व्यापक रूप से प्रभावी भी है किंतु इसकी कीमत जो लगभग २७५ रु. प्रति खुराक है और देने में आने वाली कठिनाइयों के कारण इसका उपयोग संभव नहीं है, परंतु भविष्य में इसका उपयोग अत्यंत आवश्यक होगा।
इस वातावरण में इंदौर के शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय सहित पुणे तथा चेन्नाई में किए गए वंदनीय प्रयासों ने पोलियो उन्मूलन की राह आसान बना दी है। इस गति से हम आगे बढ़ते गए तो आने वाले वर्षों में भारत से पोलियो पूर्ण रूप से समाप्त हो सकता है। अमेरिका के गेट्स फाउंडेशन, रोटरी अंतरराष्ट्रीय तथा इंग्लैंड एवं जर्मनी की सरकारों ने इस मानवीय कार्य हेतु भरपूर आर्थिक सहयोग दिया है। २१ जनवरी २००९ में सेनडियागो में आयोजित रोटरी अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में बिल गेट्स फाउंडेशन ने रोटरी अंतरराष्ट्रीय, ब्रिटेन तथा जर्मनी की सरकारों ने ६३० मिलियन डॉलर अगले ५ वर्षों में देने की घोषणा कर अन्य देशों की सरकारों, औद्योगिक घरानों तथा दानदाताओं को आर्थिक सहयोग देने हेतु प्रेरित किया है।
पोलियो उन्मूलन अभियान में सर्वाधिक महत्वपूर्ण भूमिका मीडिया की है। आर्थिक तथा अन्य कार्यों हेतु शासन, दवा निर्माता, औद्योगिक घरानों, चिकित्सक तथा स्वयसेवी संगठन भी सहयोगी के रूप में योगदान दे सकते हैं। भारतीय उपमहाद्वीप से पोलियो उन्मूलन से विकास की गति और उत्पादन क्षमता बढ़ेगी, आर्थिक बोझ एवं अस्थिबाधित विकलांग व्यक्तियों की संख्या कम होगी।
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